वो बिन बोले ही तेरा मेरे सामने आ जाना…,
अच्छा लगता है थोड़ा- थोड़ा प्यार से सताना….!
वो बिन मुंह धोए, बिन मेकअप के ही तेरे सामने बैठ जाना..,
अच्छा लगता है तेरा प्यार से डांट के फिर गले लगाना…!
वो तेरी ख्वाहिशें.., मिलने वाली हर बार बातो में टाल देना..,
अच्छा लगता है फिर भी तेरा सब्र से मेरा साथ देना…!
वो ख्वाहिशें कुछ खट्टी- मीठी बाते करने की…,
अच्छा लगता है मेरी हर बकवास को तेरा प्यार से सुन लेना…!
वो छोटी- छोटी बातो पे मेरा तुमसे लड़ लेना…,
अच्छा लगता है ख़ामोशी से तेरा सब कुछ सुन लेना….!
वो हर बात में अपनी ही चलाना…,
अच्छा लगता है मेरी हर बात को बिन सोचे मान लेना…!
वो मोहब्बत मुझ पर बेशुमार लुटाना…,
अच्छा लगता है तेरा हर बार इकरार करना….!
वो डगमागाने पर भी हाथो को ना छोड़ना….,
अच्छा लगता है तेरे साथ बिन डरे चलते रहना…!
वो हर याद ..,वो हर बात..,वो बात- बात में तेरी ही बात…,
अच्छा लगता है सबसे ही बस तेरी ही बात करना….!
वो लिखी हमारी हर कहानी को चुपके से तेरा पढ़ जाना….,
अच्छा लगता है तेरा हल्के से मुस्काना..!
आना – जाना तेरी गली में.., हर कलम- किताब- ज़हन में तू….,
अच्छा लगता है मुझे तेरा खुद से ही ज़िक्र किए जाना…!!