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आखरी मुलाकात को तरस गए…।

जिंदगी में कुछ हादसात ऐसे हुए…,

के आंसू-आंसू में बरस गए हम…।

जिनके बिन ना रह पाते एक पल भी …,

एक आखरी मुलाकात को तरस गए हम…।

चाह कर भी ना बोल सकते हैं.., ना लिख सकते हैं…, और ना सुना सकते अपने जज्बातों को…,

बस कुछ ऐसे ही बिन परो के आजाद हो गए हम…।

दिल में थी हजारों अरमां….,

और उन्हीं में दफन हो गए हम….।

ग़र जो तुम होते सामने तो दिल के हर हालात कहती…,

गले लगाकर…, खूब रोकर…, दिल के हर जज्बात कहती..।

कहती तुमको दिल के हाथों कितना हम मजबूर हुए…,

ना बिछड़ने का वादा था हमारा, और एक पल में ही दूर है..।

शिकवा भी करे तो किससे क्या..?

बेवफाई तो हमने की है…..।

मजबूरी देखो साथी हमारी….,

नजरें तक ना मिला सकते हैं…।

आजादी देखो हमारी फिज़ाओं…,

आसमां में भी ना उड़ सकते हैं…..।

काट के देखो पंखा हमारे…,

आजाद हमको यूं किया है….।

कह दिया जाओ ले लो आसमां…,

पर उड़ने को ना पंख दिया है…..।

दिल की ख्वाहिशें मेरी…,

दिल ही दिल में रह गई…..।

हर एक पल की हकीकत मेरी…,

बस ख्वाब बनकर रह गई…!

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