वो शख्स जो मुझसे कहकर गया..,
करदे हिसाब मेरा अब..,
बिन मोहब्बत ना रहा जाता हैं..,
तुम्हारी टूटी- फूटी मोहब्बत को..,
अब ओर सहा ना जाता हैं…!
कभी इस पल…, कभी उस पल..,
हर घड़ी इन्तजार में रहता हूं..
दिन काटता…, रात काटता…,
बस वक़्त काटते जाता हूं…!
ना आती तुम मोहब्बत देने..
ना मोहब्बत वाली बात है..,
इन पलों को तुम भी देखो…,
इनमे ना कोई मिठास हैं…!
गर.., कहदू मैं तुमसे थोड़ा..,
बोलने ही बस लगती हो…,
देखू जों मैं रुकना तुम्हारा…,
कहीं नहीं थमती हों..!
गलत नहीं कुछ उसका कहना..
कमी तो मुझमें बाकी हैं…,
मोहब्बत देना सीखा ही नहीं..,
निभाना भी तो बाकी हैं…!
गर.., आता मोहब्बत निभाना..,
क्या कुछ ना कर जाती मैं..,
वो शख्स सबसे अज़ीज़ मेरा..,
उसके लिए लड जाती मैं…!
पर रिश्ते- नाते, घर- परिवारों के..,
बहाने ही करती रही..,
धीरे- धीरे अपनी कमी पर..,
मोहब्बत दूर करते रही..!
मंज़र आज कुछ ऐसा है..,
उसको गवा दिया मैने…,
अपनी कमियों की वजह से..,
ख़ुदको मार दिया मैने..!
सपने हमारे.., हंसना हमारा..,
हर पल में बस हम ही थे..,
तुमसे हम का सफर किया..,
अब फिर तुम पर आ गए…!
अकेले थे हम साथी देखो..,
फिर राह पर आ गए…!
ग़ीला नहीं है.., कोई उससे..,
उसकी भी तो मर्जी हो…,
कितना तडपे वो ही यार…
ऐसी क्या जबरदस्ती हो..!
दुआ हैं बस मेरी इतनी..,
याद ना तुम करना अब..,
हमारी यादों के साए में..,
ठंडी आह ना भरना अब..!
रोना नहीं..,ना गम में रहना..,
मोहब्बत तुम्हारी सच्ची है..,
कद्र ना कर पाए हम ही..,
या.., किस्मत हमारी कच्ची है..!
खुश देखने की ख्वाहिश है..,
ख्वाहिश पूरी कर देना…,
खुशी- खुशी तुम घर बसाओ..,
इल्तज़ा पूरी ये कर देना…!
दिया तुमने जो साथ इतना..,
एक पल ना मैं भूलुगी..,
गर जो तड़पा दिल ये मेरा..,
तसव्वुर में तुम्हारे हंस लूंगी…!
फोन.., कॉल.., मेसेज जैसी..,
अब ना कोई बात होगी..,
अब तो बस मोहब्बत की अपनी..,
आखिरत में मुलाक़ात होगी..!
आखिरत में मुलाक़ात होगी..!!