दाव पे लगा बैठे हर रिश्ते को…
बस यारा इक तेरी मोहब्बत की खातिर दाव पे लगा बैठे हर रिश्ते को….,
मां-बहन ,भाई-पिता सबको रुठा बैठे हैं..
इक तेरी मोहब्बत में दाव पे लगा बैठे हर रिश्ते को है ं…!
जंग सी छिड़ी जाती है रिश्तो में…,
कहते जो कभी अपने मुझे..,
वो भी पराए से बन बैठे हैं…,
बिन बातो के ही दिलो में बाते लिए बैठे हैं….!
उम्मीद में के यह नहीं तो यह सही..,
कोई तो रिश्ता निभाएंगा..!
बस बोझ -बोझ ओर बोझ ..,
बस बोझ से बन बैठे हैं….!
क्या बताएं जुल्म यह जमाने के…,
हर ज़ुल्म को सह बैठे हैं…
इक तेरी मोहब्बत की खातिर ..,
हर रिश्ता दाव पे लगा बैठे हैं….!
ना रिश्तो को तोड़ सकते हैं..,
ना तुझको छोड़ सकते हैं…,
उम्मीद में के वहीं रब करिश्मा कोई दिखायेगा…
हर रिश्ते की बुनियाद उस पर छोड़ बैठे हैं..
समझे कोई हमारे दिल को..…
बस इस बात का दर्द लिए बैठे हैं…
यारा इक तेरी मोहब्बत की खातिर..,
हर रिश्ता दाव पर लगा बैठे हैं…
Superb lines
Shukriya jnab