यह जो बीच राह में…, जो बार-बार छोड़कर तुम जाते हो..,
सच पूछो जान ही… मेरी तुम ..,ले जाते हो..।
धक से कलेजा.. रह जाता “मेरा”..,
जाता तुमको देख कर…।।
अश्क बहते…., लब कुछ ना कहते..,एक चूप्पी- सी लग जाती है…,
सच पूछो उसी वक्त…., मेरी मौत हो जाती है…।
खिल उठते हैं फिर से हम….,
आहट तुम्हारी इक सुनकर..!
जानते हैं… फिर मरना है..,
जिंदा होने की उम्मीद..फिर भी.. लगा जाते हैं…।।
फिर जाते… तूम छोड़ …तन्हा हमको…,
फिर हम चुप हो जाते हैं…।
धक से रह जाता कलेज मेरा….,
फिर खून के आंसू रुलाता है ….।।
सोचते कहां रह गयी कमी..,
मोहब्बत हमारी.. निभाने में….।
इंतजार किया.., वक्त दिया…, सब कुछ तुम पर लुटा दिया..,
कुछ ना रही सुध-बुध तो..,होश तक हमने गवां दिया..।।
फिर भी तुम आते जब जब…,
तब मुरझाए भी… खिल उठते हैं..।
एक बार अब…फिर मरने को…,
हम फिर से…*जी* उठते हैं….।।
फिर आते तूम.. मोहब्बत से…,
उम्मीद हम फीर… लगाते हैं..।
फिर होता जाना तुम्हारा..,
रोक तक नहीं पाते हैं….।।
फिर रह जाता.. धक से कलेजा…,
एक मौत-सी सुला जाता है..।
सुना-सुना लगता समा ं ..,
और यादों में खूब रुलाता है….।।
हम फिर भी तुम पर. दिल खोल के..,
उतनी ही मोहब्बत लुटाते हैं..।
मरने के बाद “फिर जीना है” ..,
इस खूशी में ही फिर मर जाते हैं..।।
Heart touching post didu
Ty bhuttuuuu
Tyyyy bhuuutttuuuu