जिंदगी मे ऐसा मंजर नसीब फरमा मौला..,?
मैं तेरी मोहब्बत में पागल सी हो जाऊं…!
लोग देती मिसाल मीरा की मौला..,
पर मैं तेरी नेक बंदी हो जाऊं …!!
सूफी-संत नहीं हूं मैं….,
पर तेरी चौखट की सवाली हो जाऊं..!
लोग पूछे सवाल मुझसे मौला….,
पर हर जवाब में मैं तेरी हो जाऊं…!!
मोहब्बत दे – दे .., दीन की मुझको ..!
मोहब्बत में ही, पागल हो जाऊं..!!
खुद को गुमा दूं उल्फत में तेरी…,
दुनिया से मैं बेगानी हो जाऊं..!
हर रिश्ते को छोड़ पीछे..,
बस एक रिश्ता तेरा निभाऊं..!!
दुनिया में मोहब्बत किसी की ना मिली..,
ए काश….! दीन में सुकून पाऊं…!
दुनिया की मोहब्बत लोगों का प्यार…,
ए काश…! फरेब से दूर हो जाऊं..!!
गिराने वाले मुझे ही अपने …,
आज गुणगान मेरा ही करते हैं..!
करदे कुछ ऐसा मौला के इस धोखे से दूर हो जाऊं…!!
तारीफे कर ना दे.., मुझे मग़रूर …!
एक काश…! बस तेरी खातिर…, इक तेरे लिए…, सिर्फ तेरे लिए मशहूर हो जाऊं ।।
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