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एक रेप ऐसा भी.. पार्ट-२ #पति #पत्नी #बिना इजाजत मोहब्बत #रेप

आज फिर लगी हैं तलब मुझे..,

खुदको बरबाद करने की…!

अपनों की खातिर …, अपनों के लिए…,

खुदको नीलाम करने की…!

जिस्म.., मोहब्बत.., ओर इज्ज़त में..,

किस- किस को बचाना है….!

हर एक रिश्ता अक्श भरा…,

अब हमे निभाना हैं…!

और कहते जो हैं सब…, के बे-हया हो तुम…,

अरे यारो…, अब उनको वो बनकर भी तो दिखाना हैं..!

इज्ज़त घट जाती हैं सबकी..,

मेहबूब का नाम सुन जाने पर..!

जिस्म लुटाकर …, बन्द कमरे में..,

अब मान भी तो बढ़ाना है…,

अभी तो इज्ज़त रखनी है हमको…,

अभी तो मान बढ़ाना है…!

चुप रहकर.., होठ सिलकर…,

थोड़ा जिस्म ही तो नोचवाना है..!

पर नाम ना लेना मोहब्बत का..,

अभी तो मान बढ़ाना है…!

तो क्या हुआ बिन इजाज़त छुएगा वो…,

बस प्यार से नोच खाएगा…!

तुम्हारी मर्जी.., मर्ज़ी क्या होती हैं??

पति हैं तुम्हारा…, चुप्पी से बस…, हुक्म माने जाना हैं..!

हंस- बोल के प्यार से …, बस आगे बढ़ते जाना हैं…!

मत भूलो…, अरे..! अभी तो तुमको…,

कितना मान बढ़ाना है..!

और, याद रहे…, ये दिल की बातें…,

ज़बान पर ना आ जाए…,

गलती से भी ख्वाहिश तुम्हारी…,

किसी को पता ना चल जाए..!

उफ्फ…, तू फ्फ़्फ़.., आंह केसी भी…

अब ना तुमको भरनी हैं…!

बनकर दुल्हन अब तुमको..,

पत्नी धर्म निभाना हैं…!

जागीर हो तुम उसकी ही…,

बस ऐसे ही बन जाना हैं..,!

रेप नहीं…, मोहब्बत होगी वो उसकी…,

बस मोहब्बत ही निभाना हैं..!

प्यार.., इजाजत क्या होती हैं…..???

ये सब ना समझाना है..!

अभी तो तुमको चुप रहकर…,

बस अब मान बढ़ाना है…,

बस अब मान बढ़ाना है…!

3 Replies to “एक रेप ऐसा भी.. पार्ट-२ #पति #पत्नी #बिना इजाजत मोहब्बत #रेप

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