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एक हिंदुस्तानी :एक सच्चा वाक़िआ…

ये अभी कुछ 4_5 दिन पहले की बात है …! जब आधी रात को अचानक घर में बच्चे की तबीयत बिगड़ी ओर उल्टियां होने लगी….! रात के करीब 2:30 बजे से शुरू हुई उल्टियां मानो रुकने का नाम ना ले रही थी…, फिर भाभी ने मुझे उठाया और कहा के दीदी बच्चे को अस्पताल ले जाना पड़ेगा आप अभी चले….!

उनकी बात सुन मै भी घबरा गई…! अब 4 बजे चुके थे.., कोरोना के वजह से नाइट कर्फ्यू था… भाई ने अपनी गाड़ी निकाली और चल पड़े अस्पताल की तरफ…, बच्चा बीमारी में परेशान…, ओर उल्टियां अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी…., सब चाह रहे थे के जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचा जाए…., इसी कोशिश में अचानक भाई को कुछ महसूस हुआ.., उन्होंने गाड़ी साइड पर लगाई…! ये पंचर हुआ टायर था…, जिसने सबकी सांसे थाम दी थी…!

। कर्फ्यू के वजह से सुनसान रोड…,कोई और साधन नहीं….,ओर गाड़ी में टायर तो मिला पर स्टेपनी बदलने के औजार नहीं….! जैसे तैसे गाड़ी को पेट्रोल पंप तक लाया गया.., पर वहां भी कोई सामान ना मिला….! भाई गाड़ी में रखे सामान से टायर बदलने की कोशिश करने लगे .., पर सिवाय नाकामी के कुछ समझ नहीं आ रहा था…!

। कुछ देर रुक कर मैं भी कश्मकश में गाड़ी से उतरी…, मदद करना चाहती थी पर रास्ता नजर नहीं आ रहा था…,फिर अचानक याद आया के स्कूल जाते वक़्त ड्राइवर अंकल ने कहा था के हर गाड़ी में सामान होता है जिससे पंचर निकाल सकते हैं और टायर भी बदल सकते हैं… बस..,इसी उम्मीी पर सड़क पर निगाहें जमाए खडी गई..,अब 5 बज गए थे.., ओर कर्फेफ्यू का वक्त ख़तम हो गया था..,बहुत गाड़ियों को रोंकने की कोशिश की.., पर कहीं मदद नहीं मिली…!

अब मस्जिद से अज़ान की आवाजे आने लगी.., दुआए का सिलसिला ज़ारी था…। अचानक एक टैक्सी रुकी.., टैक्सी ड्राइवर ने पूछा बेटा कहा जाओगे…मैने कहा जाना नहीं है। बस सामान चाहिए ताकि टायर बदल सके… उन्होंने कहा मैं मदद कर दुगा पर १००/- लगेगे…! उनकी बात सुन मैने कहा ये तो गलत बात है किसी की मज़बूरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए.., आप ज़रा सोचिए इतने लोगो में अपने ही टैक्सी क्यों रोकी.., अल्लाह जिसे चाहे उससे मदद करवा दे..,प्लीज़ मदद कीजिए.., मैं ज़ल्दबाज़ी में पैसे नहीं लाई हूं…..!

उनका चेहरा देख लगा अब भी कुछ नहीं होगा.., निराशा से मुड़ने लगी.., इतने में एक आवाज सुनाई दी.., ये आवाज टैक्सी से टूल्स निकालने की थी..! टैक्सी ड्राइवर आए ओर भाई की मदद करने लगे यह तक की पूरे 2 घंटे की मेहनत के बाद गाड़ी सही हो गई…! अंकल ने भाई की बहुत मदद की.., यहां तक की जब गाड़ी सही हुई तब भाभी ने मुझे अपने पास बुलाया और कहा के इनकी मेहनत का इनाम जरूर दीजियेगा..,भाई ने अपने फोन कवर मै रखे 500/- मुझे दिए ओर कहा…”जितना चाहो उतनी रकम अपने दिल से उनको देदो”…. चूंकि पहले उन्होंने कहा था के 100/- लूगा…!

इस वजह से मैने उनको 100/- देना मुनासिब समझा.., ओर पैसे देने लगी.., भाई- भाभी सबके कहने पर भी पैसे नहीं लेने पर उन्होंने कहा.., के क्या मैं इंसान नहीं..??? मुुुश्कइलश वक़्त में अगर इंसानियत नहीं दिखाएंगे तो कोन दिखाएगा…?? ये पैसे समझो मैने लिए ओर अब इन पैसों से बच्चे को मेरी तरफ से मुनक्का खिला दीजियेगा… ओर वो चले गए….!

उनका नाम नहीं पता मुझे …., पर जाती धरम से बहुत परे उठ कर.., उन्होंने इंसानियत का रिश्ता निभाया ओर मेरी नज़र में उन्होंने अपनी पगड़ी_ दादी से भी अलग सच्चा हिन्दुस्तानी बन दिि उस दिन बस यही ख़्याल दिल में रहा…, जाती- धरम , ऊंच- नीच सबसे परे.., एक कितना प्यारा रिश्ता होता है..”इंसानियत रिश्ता”… ओर दिल कहता रहा.. कोन हिन्दू…? कौन मुस्लिम..?? बने सभी बस कपड़े है… गौर से देखो कभी तो इनको…,सबके दिल में हिन्दुस्तानी के सपने है..!!

8 Replies to “एक हिंदुस्तानी :एक सच्चा वाक़िआ…

  1. Well done bhati g… I really wish ise pdhne wale sbhi log is story ko smjh kr apne andr insaniyat ko jinda kre..to smaj se hindu muslim ki bhavna khtm ho jaye…

  2. Hmne bchpn se pdha hai… K hindu muslim ekta esi hoti h ..pr aaj is story ko pdhkr ese lg rha h jese ye sb story meri aankho k samne hui ho.., ye bhut acchi misal h jisse logo k dilo se nfrt nikali ja skti hai… Bhut khub… Proud of you bhati G … Ese hi motivational post likhte rho.. hm sb apke sath hai..bless uuuu…

      1. Heart touching ♥ story…insaniyt h to insan h …..vrna insan ko hevan kh dene me koi burai nhi …well done ✔ diii …& a biggest thank to helper boy….. uski vjh se bchhee ko jaldi hospital lejaya gya …

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