वह पूछते हैं किस हाल में हूं मैं…??
क्या उनको मेरी खबर नहीं…??
तो सुन ए आशिक ! माशूक की सदा….!
अपनों ने साथ अब छोड़ दिए ..,
लोगों ने हमदर्दी वाले पन्ने मोड़ दिए…,
बिता रहे हैं जिंदगी मुजरिमो की तरह..,
मांओ भी मोहब्बत वाले अंदाज छोड़ दिए…,
समझा जिसे हमशरीक उन अपनों में ने भी जुल्म कुछ ढहाए है..,
इलाज के बहाने करके कुछ खंजर पीठ में चुभाए हैं..
ख्वाबों में मुलाकात होती रहती है अक्सर तुमसे..,
पर सामने आने पर आंखों ने बयां करने छोड़ दिए..,,
होठों पर तबस्सुम लेकर आते हैं ,कुछ वक्त उनके दीदार को..,
पल बीतने पर इन तबस्सुमो ने भी साथ अब छोड़ दिए..,
बहते अश्क आंखों से ,एक दर्द-सा दिल में उढता है..,
दिखता तुम्हारा मासूम चेहरा, और सवालों में खुद को पाए हैं..,
इल्म की दौलत इकलौती बची थी ,वह भी लोगों ने छीन ली..,
बेसहारा बनकर पड़े हैं घर में ,कहने को बस बस्ती है..,
असल देखो जो हालत मेरी , आंखें बहुत तरसती है..,
तुमसे जुदाई हुई जो मेरी, सब कुछ मेरा लूट-सा गया..,
पूछा जो खुद से कल जो मैंने …,???
कौन है तू मेरा…?? यह तो बता???
जवाब मिलने की जगह सवाल के बदले सवाल मिला..,
सब कुछ होते हुए भी “कोई नहीं” जवाब मिला…!
Dont worry ,,,,,,,,,
Bahot khub likha h drd ka drd bhi bayan hota h ,
in lfjo ko chan chan kr samjhnese ne se hr kissa namudar hota h.
Ty