लोग कहते हैं कैसे लिख लेती हो जज्बातों को…?? तो सुने…
लिखने की बात है तो आज बता दूं…!
कोई यूं ही अल्फाजों में जज्बात नहीं सजाता…,
कोई यूं ही तारीफ लूटने के लिए अपना दर्द नहीं बताता..!!
होते हैं जिंदगी में दर्द बेशुमार…,
कोई यूं ही कवी नहीं बन जाता…!
यू जज़्बातों को अल्फाजों में पिरोना आसान नहीं होता..,
अपनी रूह को दर्द की गहरे समंदर में डूबोना आसान नहीं होता..!!
जज्बातों को यूंही…. नहीं उतार दिया जाता.., कागज पर..,
खुद को आंसुओं की स्याही बनना पड़ता है…!
इतना करने पर भी तो हर किसी को..,अल्फाजों में छुपा दर्द महसूस नहीं होता…!!
दिल को दर्द की तपिश में जलाना पड़ता है.…!
लोग कहते हम भी लिखलें.., लिखने में क्या है..?
पर हर किसी को यह रुह लिखना पढ़ना नहीं आता..।
यहां गमों के साथ मुस्कुराना पड़ता हैं…,
जो ना समझ पाए दर्द की गहराई को लोग..! तो…,
जज्बातों को अल्फाजों में पिरोना पड़ता है….!!
लोगों को लगता क्या खुशमिजाज शायर है…..!
और हमें…,हर गम को ,दूजे का नाम देकर छुपाना पड़ता है।।
🌹#ज़ख्मी रूह 🌹
Waah Masha allah very nice
Shukriya sir☺️
Nys
☺️
Masaallah good vichar
Shukriya baji ☺️