जाने क्यूं..? पर ख़ामोश सी…,
कर दी है.., हमने ज़िन्दगी…,
ना चहल पहल किसी के होने की…,
ना दर्द तकलीफ किसी को खोने की..,
बस ख़ामोशी से सब बिताना है…,
ना आंसू कोई बहाना हैं…,
ना खुशियां कोई मनाना है…,
बस इस ज़िन्दगी को..
वक़्त की तरह बिताना है….,
कभी पूछे जो कोई.., हमसे यारों..,
के खुश हो या तकलीफ में…??
बस मुखौटे सा पहने जाना है…,
ज़िन्दगी है ख़ामोश हमारी..,
ख़ामोशी से वक़्त बिताना है..!
ख़ामोशी से वक़्त बिताना हैं!!