क्या लिखूं आज अल्फाज नहीं मिलते..,
एक चुप्पी सी लगी है दिल में जज्बात नहीं मिलते…!
खुद को करे कोई कितना मजबूत..,
दिलों में यादें हैं पर एहसास नहीं मिलते…!
काश पलट लाते हम मुकद्दर को..,
पर अफसोस कि हाथों में वह जां नहीं मिलते…!
आंसू भरे हैं दिल में पर बयां नहीं करते..,
कहते हैं सब बहुत मजबूत हो तुम, पर वह मजबूत नहीं मिलते…!
कैसे करें कलेजे को पत्थर कोई ,अब तो दिल मुर्दा सा लगता है ..,
अपने ही हाथों से कफनाकर भी अश्कों की बरसात नहीं मिलते…!
बस एक बार लोट आ मां…,
सुकून भी तेरे बिन अब नहीं मिलते …!
Nys