मैं चंचल हूं…, नटखट हूं.., देखो कैसी प्यारी हूं…!
मैं रानी हूं.., गुड़िया हूं.., बाबा की राज दूलारी हूं…।
मुझे पूजा जाता हैं पूजा में…,
मै झुलू देखो सावन झुलो में।
मैं करती पप-पग चहल- पहल…,
मैं खुशियां बांटू इधर उधर…।
मैं हूं खुशियों का सागर..,
मुस्कुराहट मेरा हथियार है…।
मैं कहदुं प्यार से बाबा…,
सब दौलत मुझपे निसार है…।
मै चलना चाहूं आजादी से..,
मैं उड़ना चाहूं बिन खोफ के..!
पर लगता डर अब डर से है..,
मुस्कुराहट भी अपनी छुपाए हैं।।
लिबास से देखो अपने .. जिस्म को छुपाए है…,
लगता डर है मुझको… अंजाने से छू जाने का..!
खामोशि भरा डर है मुझको.., मुस्कुराहट के छीन जाने का..।
बांटती खुशियां चारों तरफ..,
थोड़ा सम्मान मुझे भी दो..।
गुड़िया लाडली कहते हो..,
थोड़ा दुलार हमें भी दो..!!
ज्यादा नहीं बस थोडी- सी…,
आजादी ही दिला दो ना…।
बेखौफ घूमे गली- गली …,
ऐसा सम्मान दिला दो ना…।
पढ़े- बढ़े खूब बढ़े…,
नाम रोशन करने दो ना..।
ज्यादा मेहनत नहीं मानते बस..,
सम्मान भरी आजादी दिला दो ना..।।
Nice