ग़र जो तुम होती मां….,
तो दिल के हर जज्बात कहती…।
कुछ सुनती…,कुछ सुनाती….,
दिल के हर हालात कहती…..।
जो होती तुम मां.. सामने मेरे…,
तो सीने से तेरे लग जाती…।
गोद में सोती.., प्यार से तेरे… ,
खूब लाड तू मुझ-पर लुटाती….।
कभी करती फरमाइश तुझसे..,
कभी कोई ख्वाहिश बताती…।
कभी जो लगता डर दुनिया से….,
तो मैं तेरे पास आती…।
खूब चिपक के…., हाथ पकड़ के….,
आंचल में तेरे छुप जाती…।
आती मुश्किल मुझको जो कोई…,
लड़कर तू उसको…, दुर भगाती …।
मां मेरी खातिर तू…..,
हर एक शख्स से लड़ जाती….।
कहती मुझसे… “डर मत बेटी”….,
अभी जिंदा है…। “मां तेरी” …।
दुनिया बिगाड़ेगी क्या तेरा….,
अभी “दुआएं हैं मेरी”….।
कहां से लाऊं मां अब तुझको….,
यह दुनिया डरा रही मुझको….!
एक तेरे जाने से ही मां….,
ये दुनिया सता रही मुझको….।
लौट आ.. ना.., बस एक बार फिर से….,
दामन में फिर छुपा ले ना….।
डांट के सबको.. चुप कराकर..,
आंसू मेरे पोंछवा दे ना….!
डर है जो दिल में मेरे….,
एक बार उसको दूर कर दे….!
मां तू प्यार से अपने…,
दिल में मेरी सुकून भर दें…..।
लड़ जा “मां” उस रब से तू….,
इस बेटी को बहुत जरुरत है…..।
लोट आ मां…मेरी खातिर…,
बस इक यही मेरी हसरत हैं…!