मां तेरे बिन ये घर बिखर-सा रहा है.., हर कोई दिखता मजबूत पर सब टूट-सा रहा है..! हर चीज में तेरी खुशबू महसूस-सी होती है.., इन कानो को भी तेरी आहट महसूस-सी होती है..! अंदर ही अंदर टूटे से लग रहे है.., मां मेरा घर बिखरता सा लग रहा है ..!! ना कोई गले लगाकर […]
मैं टूट कर पूरी तरह से… अपने मेे ही समायी हूं…। टूट कर, बिखर कर…, मैं अहदे वफा निभाई हूं….। हां नहीं निभा सकी .., अभी तक वो वफाएं मुकम्मल….।मै हर अंजाम मेे .., उस वफ़ा को याद दिलाई हूं….। मैं गिरी हूं.., टूटी हू…., टूट-टूट कर फिर जुड़ी हूं….। मै दिखने को जिस्म का […]