आज दिल भर आया है .., तेरी यादों के समुन्द्र में….
आज तन्हाई में फिर घेर सा लिया है…..!
तू करीब ही हैं मेरे…..! जानती हूं मगर…..,
फिर भी दिल रोया है…, तेरी याद लिए हुए….!!
आज छाई फिर अंधयारी- सी है….,
एक बदली गम की छाई- सी हैं….!
एक डर दिल को सता- सा रहा हैं…..,
ये वक़्त थोड़ा रुला- सा रहा हैं….!!
आज दिल हैं लिपट जाऊं….!
तेरी सुकून भरी बाहों में……!
आज आंखों में मेरे…,
तन्हाई- सी लगी है……!!
धड़कता दिल..…, कानों में सूनापन….,
ओर आंखों में इन्तजार – सा हैं….!
आज मुझे बस तेरा…, सिर्फ तेरा….!
इन्तजार – सा हैं…..!!
आज संवरती दुनिया जाने क्यूं…???
सपने मेरे जला- सी रही हैं…..!
आज टूटे दिल की बदलियां…,
फिर कोई छा-सी रहीं हैं…!!
आज रों – लूं दिल खोल के….,
ओर मर जाऊं तेरी बाहों में….!
के डर ये तुझसे जुदाई का….
एक पल ओर सताए क्यूं…..??
कोई और छूए क्यूं…..??
तुझसे दूर कराए क्यूं…..??
तेरे करीब…,। तुझसे जुड़े…,
बस तेरे ही ख़्वाब आंखों में है….!
फिर ये दिल मजबूरियों में…,
और कहीं जाएं क्यूं…..??
क्योंकर ये डर मेरा…,
मुझे जीने नहीं देता…..??
क्योंकर ये दर्द दिल का…,
ख़तम होने का नाम – ना लेता…??
क्या हो जिसमें सिर्फ तुम- मैं….,
ऐसी कोई मुलाक़ात ही जाएं….?
क्या हो ज़िन्दगी तेरे नाम….,
एक इस दूआओ भरी शाम हो जाएं…??
ख़्याल ये किसी ओर का ही…,
मुझे कितना डराता है……!
बिन तेरे हर एक पल…,
बस तेरी याद दिलाता हैं….!!
आंखें गोया समुन्द्र – सी ..,
बने को ही बैठी है….!
दिल ये लिए सख्ती- सी..,
पत्थर – सा बन बैठा है…!!
क्योंकर इस दिल में कोई….,
अहसास और नही आता….?
क्योंकर एक तेरे सिवा….,
दिल को मेरे नहीं भाता…??
तुम…, तेरी ओर सिर्फ तेरी ही…,
रट ये लगा बैठा हैं….!
आकर पास दिल को तू…,
थोड़ा सुकून दिला दे – ना….!
ले जा सोणे…, संग अपने….,
आंसू मेरे मिटा – दे ना…,
आंसू मेरे मिटा – दे ना…!!