खबर नहीं हैं तेरी मुझको..,
पर तेरा इन्तजार हैं..!
दूर दूर सा हैं तू…,
पर क़रीब होने का अहसास हैं..!!
डर लगता है इन धड़कनों को..,
तुझसे बिछड़ जाने का…!
अक्श बह जाते हैं अक्सर मेरे…,
बस याद तेरी आने पर…!!
मोहब्बत भी हमारी…,
अब किश्तों पे पलने लगीं हैं…!
हर रोज थी मोहब्बत की चाह…,
अब टूट- टूट कर मिलने लगी हैं….!!
डर ये मेरे दिल का..,
जाने क्यूं बढ़ता – सा जाता हैं…!
मेरा दिल.., मोहब्बत में तेरी..,
अब डरता – सा जाता हैं….!!
जो तू कहता है बढ़जा आगे…,
बस बढ़ जाने के लिए…!
ये दिल ., मोहब्बत का ग़म सहता- सा जाता हैं….!!
तुम.., मैं…, और हमारी किश्तों वाली मोहब्बत….,
जाने क्यूं बस किशत किशत में चल सी रही हैं….!
लगता है अब मोहब्बत की सांसे….,
थोड़ी निकल- सी रही हैं…!!
निकली जो सांसे मोहब्बत की..,
मुर्दा मेरा दिल होगा…!
सहकर गम इस दुनिया में…,
बस दिखावे को ज़िंदा होगा…..!!
ना उम्मीदें लगाऊ…,
ना क़िस्मत मनाऊं…,
हर बात रब पर छोडी हैं…!
देखना तो जानी अब हैं ये…,
मेरी मोहब्बत कितनी सच्ची है…??