न जाने कहां से, नन्ही-सी आई वो इस तरह..,
दोस्ती का हाथ बढ़ाया कुछ इस तरह..!
छोटी-सी थी.., दादी अम्मा की तरह.,
सीख देती थी मुझे …,मेरी मां की तरह…!!
मेरे लिए खड़ी हो गई लड़ने.., जैसे हो वह मेरी बहना..,!
तो भाई की तरह हिफाजत भी, की कुछ इस तरह..!!
अंधेरे में उजाला लाई वो इस तरह…,
कि जिंदगी उजियाली है .. उस के दम पर,आज भी इस तरह..!
छोटी-छोटी बातों में खुशी ढूंढ लाती वो इस तरह..,
जैसे हो कोई फरिश्ता…, लगती है इस तरह…।
पर आज मैं उससे दूर हूं…, कुछ इस तरह…,
के चाहकर भी मिल ना पाऊं ..,मैं इस तरह..!
दुआ करती हूं खुश हो वो ..बचपन की तरह..,
ना आए कभी मुसीबत…,कुछ इस तरह…!
R.B. कहती मुझे और B.R. में उसका बुलाती..,
दुनिया भी सोचती कैसे दोस्ती
निभाती इस तरह…।
बीते जन्मदिन को मिलकर मनाती इस तरह….
मैरी सुपारी, खत्म खट्टा खट्ट.., जैसा संगम बनाती कुछ इस तरह …,
खट्टी-मीठी दोस्ती कहलाती जिस तरह…।।
Osm lines
Tyyyyyyyyyyyyyyy bhuuutttuuuu