उड़ा कर हमारी निंदो को..,
वो कहते हैं सो जाओ…,
रुलाकर हमारी आंखों को…
कहते हैं चुप हो जाओ…..!!
कभी कहते दूर जाने को…,
तो खुद ही गले लगाते हो…,
कभी कहते भूल जाने को…,
फिर खुद ही प्यार लुटाते हो….,!!
सहज- ठहर कर..,डर – डर कर..,
मोहब्बत तो निभाने दो…,
डर इस दिल को किसका है…?
थोड़ा प्यार लुटाने दो…!!
उदास निग़ाहों में थोड़ी…..,
ख़ुशी तो समाने दो….,
भर के मन के सागर को…,
मंद- मंद मुस्काने दो…!!
जरूरत नहीं किसी शख्स की..,
ना जिस्म की कोई चाहत हो..,
अपनी मोहब्बत को बस अपने…,
अन्दर ही बढ़ाने दो….!!
थोड़ी ख़ुशी इन लबों की तुम्हारी…,
थोड़ी सी मुस्कान दो…,
ये ना समझना गलत इरादे है हमारे…,
बस थोड़ा पाकीज़ा हो जाने दो..!!
मोहब्बत का हमारी रूह से ही..,
बस रूह का ही हो जाने दो…,
जिस्मो की बात ना लाकर…,
बस पाकीज़ा मोहब्बत निभाने दो..,
बस पाकीज़ा मोहब्बत निभाने दो…!!