ए खुदा…! तू ही बता…, क्या करू मैं पढ़- लिख कर..??
अत्याचार को देखकर चुप यहां सब होते हैं…,
झूठे रिश्ते नातों में हमदर्दी जहां दिखाते हैं…,
किसी मासूम का बचपन वहीं दबा देते हैं…!
पैसों ने इसे पकड़ा है…, बालश्रम ने इसे जकड़ा है..!
अमीरों के मन में एक लड्डू जहां फूटा है…,
किसी मासूम का सपना किस तरह से टूटा हैं…!!
झूठी आन…, झूठी शान.., जहां ये दिखाते हैं..,
खुद भी कभी बच्चे थे.., जाने क्यूं भूल जाते है…??
रोए कोई अपने दर्द में.., ये हंसी उसकी उड़ाते हैं…,
गरीबों को दबाकर ये ख़ुदको महान बताते है….,
पोचा.., झाड़ू.., ओर बर्तन में.., ज़िन्दगी जो गुजरवाते हैं…!
चोट लगने पर कभी.., मलहम भी नहीं लगाते है..!
आए खून या बहे आंसू.., पैसों को क्या परवाह है…?
बच्चा किसी ओर का है…, अपना थोड़े ही जन्मा हैं…!!
Right Bhati g
Ty..