कहीं गूंजता शोर जो उठने पर जनाजा ..,”कलमें” का मुझे सुनता है…,
क्या करूं एक शोर अर्थी उठने पर “राम नाम” का भी सुनता है…!
एक तरफ जनाजा उठाई कोई खड़ा है..,
दूसरी तरफ अर्थी सजाए कोई खड़ा है..।
मंज़र मंज़र की बात यह कैसी निराली देखीं हैं..,
लबों पर भले हो हजारों कड़वाहट ,पर दिलों में मोहब्बत देखी है..।
कोई सूबकी भर-भर कर, इस तरह से रोता है…,
कोई चुप रह-रह कर सब्र के घूंट यूं पीता है..।
लोग लगे रहते हैं नफरत फैलाने में…,
मेरे पड़ोसी लगे है मोहब्बत फेलाने में..!
कौन कहता है हिंदू मुस्लिम एक ना होते…,
मैं मंजर यहां कुछ देख रही हूं..!
उढ़ता जो जनाजा मुस्लिम का.. तो, हिंदु आंखें भीगा रहा है.,
सजी जो अर्थी हिंदू कि..,तो मुस्लिम आंसू बहा रहा है…!
क्या कहूं सब्र की एक मिसाल आज यह देखी है…,
सिर्फ ईद-दिवाली में ही नहीं.., मैंने गमीं में भी एकता देखी है….।
लोगो में नफरत फैलाने वालों ,तुम सब दूर खड़े रहो..,
आज फिर मैंने अपना में “इंसानियत” झलकती देखी है। ं
Wonderful post
Tyyyyyy bhuuutttuuuu
Proud of you
Shandaar jabardast jindabad
You are osm creater.. happiness
Shukriya sir
Heart touching ❤
Shukriya
Wow
Shukriya
Shukriya sir
Mashallah ✨
Shukriya besti