वो जो रूठने पर मेरे., प्यार से जो मनाती हैं..,
वो जो रोने पर मेरे.., मुझको जो हंसाती है…,
वो जो भूक – प्यास.., धूप – तपिश.., सब में याद आती हैं..,
कोई और नहीं यारो…, वहीं मां कहलाती हैं…!!
वो जो डांटे प्यार से.., कभी गुस्से में आंख दिखती हैं..,
वो जो देखे गलती होते…, फिर सही राह जो दिखाती हैं…,
वो जो मारे थप्पड़ भी.., फिर खुद ही रों जाती हैं…,
कोई और नहीं यारों वहीं मां कहलाती हैं…!!
वो जो डर लगने पर…, आंचल में छूपाती है…,
वो जो अंधेरी गलियों में भी…., खुद आगे हो जाती हैं…,
वो जो आधी रातो को जगकर…., हमें खाना खिलाती है…,
कोई और नहीं यारों .., वहीं मां कहलाती हैं…!!
वो जो दूर होने पर भी…, फिक्र किए जाती हैं….,
वो जो हर पल बस एक राग का.., रट ही किए जाती हैं…,
वो जो बार- बार हमारी सलामती…, ओर सलामती ही सोचे जाती हैं….,
कोई और नहीं यारों…., वहीं मां कहलाती हैं….!!
वो जो बच्चों में बच्चा बन…, संग खेले जाती हैं…,
वो जो बेशुमार हर बार…, हम पे प्यार लुटाती है…,
वो जो बिन बोले ही…, हर बात समझ जाती हैं…,
कोई और नहीं यारों…..,हां…! यही मां कहलाती हैं…!!