क्यों कर याद नहीं आता.., मैं कैसी बड़ी हुई..,?
मां क्यों कर याद नहीं आता के मैं कब चलना सिखी थी..?
क्यों कर याद नहीं आता जब मुझे चोट लगी और तुने प्यार से उठाया था..?
आंसू पूंछकर मेरे ,सीने से मुझे लगाया था…!
क्यों कर याद नहीं के मैं कब रोई ,ओर तूने मुझे मनाया था..?
मुझे तो यह भी याद नहीं के क्या क्या सहकर तूने,
ज़ीद मेरी पूरी कराया था..।
मां मुझे याद नहीं मैं कब-कब कैसे बड़ी हुई..,??
ना याद आता है तेरा , मेंरी वजह से तकलीफ में होना..!
क्यों कर याद नहीं मुझे जब तू थकी.., और मैं चैन से सोई थी..?
मां क्यों याद नहीं आता..जब गुस्से में कूट-पीट कर मुझको , तू भी संग मेरे रोई थी ।
क्यों कर याद नहीं आता जब छोटी-छोटी चीजों में तू सपने बिछोई थी..
काश याद होता एक एक पल…!
तेरे चेहरे का सूकून..हम भी आंखों में भर पाते…,
काश तेरे लबों की मुस्कुराहट को यादों में समा पाते..,
काश तेरे साथ खेले हर खेल को, हम भी याद रख पाते…,
काश तेरी मोहब्बत में..फिर से ,नन्हे से बन सो पाते..।।
काश लग जाते तेरे सीने से.. यह कहकर के “मां डर लगता है”..,
काश छुप जाते तेरे आंचल में..,एक हाऊं के डराने से..,
काश खा पाते तेरा झूठा निवाला, हर बार प्यार से खिलाया हुआ..।
काश पास होकर तेरे इन तारों कोो भी गीन पातेे.,
काश चंदा मामा को फिर से थाली में ला पाते..,
काश बचपन वाली मिठास में ,फिर वापस हम लौट पाते…।
बड़े हुए हैं हम जो थोड़े..,कुछ-कुछ से बदल गए हैं…,
पर मां मोहब्बत तेरी आज भी, मुझे वो इकसार दिखती है..,
आज भी मां तू मुझे, सिर्फ मेरी मां ही लगती है..,
भले ही लड़े हजारों बार .., पर हक तुझ पर सिर्फ मेरा है..
मां आंखों में बसा तेरा .,मुस्कुराता हुआ चेहरा हैं…,
हजारों गलती करने पर भी, तू प्यार से समझाती है..
हमारे रूठ जाने पर तू भी रूठ जाती है..,।
करनी हो जहां हौसला अफजाई ,सबसे पहले तू रिस्क उठाती है….,
लड़कर सारी दुनिया से भी , तरफदारी हमारी ही लाती है….,
प्यार से भूख आज भी मेरी, मां तू ही मिटाती है..,
कभी खाना, कभी कपड़े ,हर नखरे उठाती है..,
क्या कहूं तुझे पता नहीं , एक थैंक यू तो छोटा है..,
सच हैं मां तेरे दम पर ..,हम बिटिया राज कर पाती है..।।
Love you mom
Mashaalllah ☺️
Subhanallah
☺️
Fabulous post…
Happy mother’s day
Tyyyyyyy bhuttuuuu
Hpy mother’s Day mamma ❤ love you
☺️
Wowww
Nice beautiful
Shukriya jnab☺️