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मान जाओ ना #रूठना मनाना #मोहब्बत #इन्तजार

वो करने लगे हैं बदलाव- सा खुद में…,

शायद दूरी कुछ उनको बनानी है….,

आंखे.., लब…., रुखसार उनके…,

सब अपने से ही तो लगते हैं…!

मासूम – सा.., प्यारा-सा चेहरा….,

चेहरे पर खिलती मुस्कुराहट को..,

जाने क्यू छुपाने लगे हैं…??

जाने ख़बर हैं भी उनको……..??

इसी सादगी मै दिल चुराने लगे हैं…..!

रूठे बैठे हैं जाने क्यूं हमसे…???

वजह की कुछ ख़बर नहीं है…!

फूल से चेहरे को जाने क्यूं…??

गुब्बारे सा बनाया है..,..!

लगता है हम पर बादल ये..,

थोड़े गमी का छाया है….!

मनाये केसे उनको हम..,??

कोई तरकीब नहीं आती……!

मनाने की ही बात हैं…,

मनानी भी नहीं आती….!!

बोले ना-एक बोल.., मोहब्बत भरे…,

चुप्पी-सी दिल को लगाई हैं….!

बहुत कुछ कहना था हमको…,

बस ख़ामोशी से ज़बान सिलवाई हैं…..!!

गुजरी रात सोच – सोच कर…,??

संग उनके पहली बार तन्हाई थी……??

आंखे भी हमारी खामोश रही…,

ना उसने कोई नदी बहाई है……!!

ख्वाहिश थी उनकी ना – रोने की….

एक बूंद ना आंसू बहाया है…!

गला भरा भर- भर हमारा….,

पानी सा हमने घुंट पिया….!!

वक़्त.., मोहब्बत.., इन्तजार सब…,

तुम पर ही तो निसार है…!

मान जाओ मेरी जान तुम..,

बिन तुम्हारे दिल वीरान हैं…!

गर जो रुठे रहे तुम हमसे…,

बिन मारे मर से जायेगे….!!

प्यार से कहदो माफ़ किया..,

एक पल में ही खिल जायेगे…,

एक पल में ही खिल जायेगे…!!

मान भी जाओ ना…..,

प्लीलिलिलीज्ज्ज्जज..!!

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