रों – रों कर आंखे उसकी…, थक गई है अब…,
रों – रों कर आंखे उसकी.., थक गई है अब…,
पूछती हैं सबसे..,की मेरा बच्चा आएगा कब…???
मैं दुनिया की रीत ना जानू..,
मुझे इस दुनिया से मतलब ही क्या….???
बच्चा ही तो गलतियां करता है…,
अब भुला दूं.., ममता की प्रीत भी क्या…???
मैं करू सजदा.., या दूं सदका…??
मैं करू सजदा…, या दूं सदका…??
मन ही मन यही अरदास है रब…!
दिन निकले.., महीने बीते..,
अब मेरा बच्चा आएगा कब..??
लोगों की चिंता करते करते…,
बाप भुला की फ़र्ज़ भी है..,
बेटा अपना ही तो था…,
“जन्म दिया है कर्ज भी हैं”….!
भूल चुके हैं बीती बाते…,
अपनी ज़िंदगी में मशरूफ है सब…,
पर मां का आज भी वही सवाल है…,
मेरा बच्चा आएगा कब…???
दादू की ज़मींने खत्म नहीं हो रही…,
चाचू के बिजनेस डील बाकी है…,
भैय्या आप तो आ जाओ लेने..,
पराया होने मै अभी.. सील बाकी है..!
मैं ना करुगा.., नादानियां अब….,
सजा थोड़ी कम करदो ना…!
पापा को दीदी आप समझा दो…,
बुरा हूं तो अच्छा बना दो ना…!
अभी ज़िंदगी जुड़ी नहीं उससे…,
पर याद उसकी बहुत आती हैं…,
नाज़ुक से दौर में है रिश्ता…,
मजबूत धागा बना दो ना…!
छोटू तो छोटा हैं अभी….,
पर मां ने तो खोले होगे लब….,
ओर खोले होगे तो पूछा ही होगा….??
के मेरा बच्चा आएगा कब….??
मेरा बच्चा आएगा कब….??
…. ye apne bhi na …kbhi kbhi apne nhi lgte
Right..