ओ.पी.शर्मा सर :-
एक ऐसे शख्स जो एक आदर्श टीचर, डायरेक्टर , ओर रिटायर प्रिंसिपल रह चुके हैं..। आप साधारण, नए विचार लिए, सबको अपना समझकर उनकी मदद करने वाले , ओर जरुरत पड़ने पर डांट लगाकर इस्लाह करने वाले शख्श हैं। आप जितनी डांट लगाते है , उससे कई ज्यादा अच्छा काम करने पर उसे शाबाशी देने वाले हैं।।
पद :- यह हमारी कालेज के डायरेक्टर थे , जिसका नाम गर्ल्स कॉलेज है।
मेरे आइडियल कैसे बने :-
चूंकि ये हमारी कॉलेज के डायरेक्टर पद पर थे.., इसलिए कॉलेज में जब भी कोई नई या बड़ी हस्ती को बुलाना होता तो ये उनसे हम प्रेरणा देने के लिए कॉलेज बुलाते…, और सभी बच्चो का लैक्चर करवाते…! कॉलेज में कुछ भी नया काम करना होता तो ये हमेशा आगे रहते…, एक बार मैने सर को प्रिंसिपल मेम आशा कोठारी जी से कहते हुए सूना के “”मैम मैं अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करूंगा”” यह वाक्य जब मैने सुना तो मेरी नज़र में उनकी इज्जत ओर बढ़ गई..।
ये कुछ 70 उम्र के आस पास थे, पर लगते बिल्कुल नहीं थे…। हंसता चेहरा.., प्यारी सी मुस्कान .., और हमेशा आगे बढ़ने का संकल्प लिए थे….।
कॉलेज एक्सिबिशन :- हमें आगे बढ़ा़ने के लिए collage axibition रखा गया , ओ. पी. शर्मा सर ने बार बार हमारे बनाए प्रोजेेेक्ट देखे.., ओर हर बार हमें कुछ ना कुछ सलाह देकर Axibition के लिए हिम्मत बढ़़ाते .., हमारी स्पीच सूनते .. हमसे सवाल करते .., नये नये आईडिया, बोलने का सलीका सिखाने के सााथ हमें आत्मविश्वासी बनाते ..।
Axibition के दिन मेरे २ सब्जेक्ट के एक्सिबिशन था.., home science & geography … सर ने बाकी आए अध्यापक के साथ भूगोल की प्रेजेंटेशन सुनी , और प्रेजेंटेशन सुनकर सबसे पहले मेरे लिए तालियां बजाई …, और इसके थोड़े समय बाद जब गृह विज्ञान की प्रेजेंटेशन हुई .. तब सभी Axibition लेने आए अध्यापको ने मेरी तारीफ़ की , तब o.p.sharma सर ने मेरी पीठ थपथपाई और कह के “आप जानते हैं ये लड़की कौन है..?? ये वही लड़की है .., जो नीचे अभी भूगोल की पर्जेंटेशन दे रही थी .., ओर अब गृह विज्ञान की प्रेजेंटेशन दी है..! कोई भी बच्चा तय्यार नहीं था प्रेजेंटेशन के लिए.., पर इसने कहा कि मैं दोनों प्रेजेंटेशन को पूरी तरह संभाल लूंगी.. । और आप खुद देखिए इसने पूरी प्रेजेंटेशन को टॉप पर कर दिया…!
ये शब्द., ये लाइन मेरे लिए मैजिक थी..। मेरी होम साइंस टीचर भारती शर्मा ने मुझे धन्यवाद कहा और कहा तुम्हारी वज़ह से आज ये टॉप पर आया है..। और मैने कहा :- के ये सब आपकी और सर की मेहनत थी जो अपने हमारे छूपे हूनर को बाहर निकाला ….।
सच में…, वो दिन 29 तारीख…., मुझे आज भी याद है ! घर पहुंचते – पहुंचते मैने अपने पापा को कॉलेज का सारा सीन बता दिया..! जैसे: सर का मेरी पीठ थपथपाना , सभी टीचर का मेरी तारीफ़ करना .. सब कुछ बहुत अच्छा था ।
मेरी तरह हर कोई बच्चा उन्हें बहुत पसंद करता था ..। आज जब वो इस दुनिया में नहीं हैं , तो जब मैं कॉलेज गई तो बच्चे बोलने लगे के “वो मरे नहीं हैं…, वो तो अमर हो गए इस कॉलेज के लिए”… और वाक़ए में वो पूरी कॉलेज के ideal थे .., ओर हमेशा रहेंगे …! मैं ही नहींं बल्कि किसी भी बच्चे से लिखवालो वो लििििखता ही जाायेगा ..!
O.p.Sharma की सबसे बड़ी खासियत ये थी…, के अगर किसी का काम उनको पसंद आता तो बिना किसी झिझक के उसी वक़्त वो उसकी तारीफ करकर उसे आगे बढ़ने को प्रेरित करते….! और अगर कहीं किसी काम में कमी लगती तो फौरन वहीं पे उस काम को करने का सही तरीका बताते ओर हमारी इस्लाह करते…! उनका सबकी मदद करना और प्यार से डांट कर भी सबको खुश रखने का अंदाज बहुत अच्छा था..।
उन्होंने मुझे भी पहली बार डांटा था…, जब मैं ओर मेरी दोस्त आसमीन कॉलेज मेन डोर सीढ़ीयो पर बैठी थी.. तब सर ने कहा ….. “यहां क्यूं बैठी हो पता नहीं ये आने जाने का रास्ता है” …। तब हमने कहा हम पापा का वैट कर रहे है .., पर इस डांट का इतना असर हुआ के 10-15 तक उनके ऑफिस के आगे से भी नहीं गुज़रे…, और बहुत ज्यादा सॉरी फील हुआ..। सोचा सर को सॉरी बोल देते हैं.., पर कभी हिम्मत नहीं हुई …, और जब हिम्मत हुई तब वो नहीं रहे…।
तंदरुस्त.., खुशमिजाज.., हैल्थी और नेक नियत वाली शख्शियत को एक मच्छर ने अपने चिकनगुनिया से सबसे दूर कर दिया…। किसी को इस बात पर यक़ीन नहीं हुआ के हंसता.., मुस्कुराता चेहरा .. अब हमारे बीच नहीं रहा…, पर ये सच था के.. ओ. पी. शर्मा सर चल बसे …।
“”वो हम सभी के आइडियल थे .., हैं.., और हमेशा रहेंगे …! शायद उन्हें कभी कोई नहीं भुला पाएगा…।””
ऐसे टीचर जो सबका भला करे .., हर वक़्त सबकी मदद करना.., छोटे से लेकर बडो तक सबकी बात सुनकर फैसला लेना.. , हर एक बात से एक आदर्श अध्यापक की छवि झलकती थी .., उनको कोई नहीं भुला सकता.., ओर मैं तो कभी नहीं…। हां….! वो वाकई में मरे नहीं बल्कि कॉलेज के लिए अमर हो गए….!
Thank you sir…, हमारे गुरु…, हमारे बड़े बनकर…, हमें समझाने के लिए.., ओर हम सभी का हौसला बढ़ाने…, ओर हम बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए… Thank you…..
प्रिय रुबीना, तुम एक प्यारी बिटिया और आदर्श विद्यार्थी हो। तुम पर गर्व है। पापा के बारे में तुम्हारे ब्लॉग पर पढ़कर गर्व और ख़ुशी हुई। पापा अवश्य देख रहे होंगे और तुम्हें आशीषें दे रहे होंगे। बहुत सारा स्नेह शुक्रिया
प्यारी दीदी.. आपका बहुत बहुत शुक्रया आपने ब्लॉग को पसंद किया.. ये सब सर की ही दी हुई प्रेरणा हैं,जो हम आज यहां पहुंच पाए है।। सर हमेशा मेरे आदर्श रहेंगे…, हमारे घर में तस्वीर लगाने की इजाजत नहीं.., पर फिर भी मेरी अलमीरा में उनकी तस्वीर हैं.., जब जब मैं डरती हूं या दिल करता है, के किसी से अपनी शिकायते कहूं .., तो उनको याद करती हूं.., मुझे नहीं पता था एक गुरु शिशक तो हो सकता है पर इस तरह हर बार साथ नहीं होकर भी साथ देंगे.., इसका गुमान तक नहीं था..। सर हमेशा हमारे साथ रहेंगे..! याद रखे.., “अमर बलिदानी कभी मरा नहीं करते वो तो हजारों के दिलो में ज़िंदा रहते है”.! ओर सर हमेशा हमारे साथ ही है।। अल्लाह अजवजल उन्हें जन्नत अता फरमाए..।