मैं रोती रही अंधेरे में…,
उसे मेरी फिक्र सताती रही..।
वो थे परेशान किसी और के साथ….,
मैं कहीं और रात बिताती रही….!
ना मर्जी उनकी चली ., ना कुछ मैं कह पाए...,
वह टूट गया था मेरे बिना.., ना मैं खुद को समेट पाई…!
ना मेरे.., ना उसके.., लबों से बातें भी कुछ निकल पाई…
आंखें करती रही काम अपना..,
यादें अश्कों में ताजा होती रही ..!
जिंदगी जुड़ी थी किसी और के साथ उसकी..,
मैं भी एक अनजान-सा रिश्ता निभाती रही..!
अपनों का सोच के हम चुप थे…..,
और जिंदगी हमें कुछ कहते रहे..!
वह चाहकर भी कुछ ना कह सका..,
मैं एक रात फिर वह गम सहती रही…..!
वो ख्वाब था ..,यह हकीकत है…,
वो राज़ था.., यह नसीहत है…!
दोनों दूर थे एक दूसरे से..,
पर हर बात दिल की समझते रहे.…।
वह खामोशी से कुछ कहता रहा..,
मैं जज्बात दिलों के समझती रही…!
वह रोता रहा अंधेरे में…,
मुझे उसकी फिक्र सताती रही …!
outstanding
Masha Allah God bless you
Mah allahhh bless uu too bro
Superb
Ty sir
Fabulous..
Ty Bhai
Nice
Ty g