Latest Updates

मोहब्बत के बाजार में कर्जदार…#खामोशी

आज खुद को गहरी फिक्र में डूबते हुए देखा है.,

आज हमने ज़बान होते हुए भी चुप रहते हुए देखा है..।

आज देखा कुछ ऐसा मंजर की आंखों में भरा पानी है..,

आज फिर उस पानी को आंखों में जमते हुए देखा है…!

जाने क्यों आज हम पत्थर से लगते हैं…,

आज दिलों को पत्थर से भी मजबूत बनते हुए देखा है..!

अक्ल ,इल्म, दौलत सब-कुछ गवां बैठे हैं…,

आज सब होते हुए भी खुद को खाली हाथ देखा है..!

हजारों तबस्सुमो के मुस्कुराहट का खयाल यूं लगा बैठे हैं..,

आज अंदर ही अंदर टूटते एक शख्स को हमने देखा है..!

हमने ही तोड़ दिए सजाएं अपने ही ख्वाबों को…,

आज ख्वाबों से खुद को हकीकत में आते देखा है…!

उस शख्स के कर्ज को जिंदगी भर ना भुला पाऊंगी…,

आज खुद को ही मोहब्बत के बाजार में कर्जदार बनते देखा है….!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.