फोन आया जब उनका मेरे….,
कानों में एक आवाज़ घुली..,
धड़कने बिलखी…,सांसे रुकी..,
एक ख़ुशी सी दिल मै भर गई थी..!
फिर देखा आस – पास जो…,
कुछ ख़्याल हमें आया…,।
जानते हुए भी अच्छी तरह से…,
अंजान होने का बहाना बनाया…!
वो पूछते रहे…, भूल भी गए क्या..?
उनको क्या ख़बर.., एक हैलो में ही सवर गए थे…,!
बाते घुमाते…, शक हटाते….,
हैलो- हैलो में वक़्त गुज़र गया..,
लड़खाई ज़बान.., घबराया दिल…,
सामने बैठे लोग थे….,!
कैसे बताए साकी तुमको….,
कैसे हम अंजान बने…,
रखने लाज़ बस अपनो की…,
यूं हीं हम बेगाने बने…,
यूं हीं हम बेगाने बने….!!