थमती सांसे…, चलती जिंदगी ….,और दिल के मौजों में तूफ़ान सा उठने लगा है…!
मोहब्बत के इस दौर में, अपनो का हीं एतबार उठने लगा है…।।
चाहते जिनको कभी न खोना.., वह भी दूर होने लगी है..।
बताई जिनको हर बात दिल की.., वो भी शक बोने लगे हैं।।
मोहब्बत की.., हर बात बताई…, सिर्फ साथ सबका पाने को..।
कुछ ना छुपाया कभी भी हमने उनका विश्वास पाने को…।।
इजाजत का बस सवाल किया …,ना कदम कदम ताने सुनने को..।
अपनी बस रज़ा बताइ.., बस सिर्फ उनकी रज़ा पाने को…।।
ए काश….! ए काश….!,
रखता अंधेरे…में उनको..,उनका राजा बेटा बना रहता..।
कभी ना सुनता..भाग जाएगा घर से …,इत्मीनान से सब चलता रहता….।।
किसी दिन जाता मर्जी से अपनी…,मैं भी शादी रचा लेता…।
आता फिर बताने बात… फिर तो सब अपना लेता..।
पर…….,
नहीं करनी गद्दारी अपनों से… ,मोहब्बत पहली “अपने” हैं।।
क्यों ना समझते मोहब्बत मेरी …,मेरी भी तो सपने है..।
हक न सही कुछ कहने का ..,मर्जी तो पूछा करो…,
और पूछो जो मेरी मर्जी तो….उसको फिर समझा करो…।।
“ना” समझते मर्जी मेरी फिर… “ना” पूछने का तुम नाम करो..।
ज्यादा नहीं तो बस थोड़ा सा… हम पर तुम विश्वास करो..।।
अपनो ने ही आज हम घर पर… पेहरे ये लगवाए हैं..।
सच बोलने के हमको … इनाम यह दिलवाएं हैं…।।
मैं ना कहता… मर्जी ना चलाओ…,रोको नहीं बुरा कहने से..।
पर जब कहते हो प्यार से बेटा…,तो एक बार तो सोचा करो…।।
यकीन किया है तुम पर तो.., थोड़ा रहम किया करो….!
होती यहां जो कोई लड़की …बदचलन बदकार वह बन जाती है…,
बस अपनी सवाल की सजा …,वह कुछ इस तरह पाती..।
होती निगरानी पल-पल उस पर.., पाबंदी तक लगाई जाती…!!
गाली सुनती, काम कराती , पल-पल वह मारी जाती…।
बसी एक सच बताने की.. इतनी बड़ी सजा पाती…।।
कहती कुछ जो वह तो ..जबरन शादी करवाई जाती…।
पर बेचारा में भी यारों….। लड़की सा बन गया हूं…।।
करके सवाल.., मोहब्बत का अपनी..।
अपनों के हाथों मारा गया हूं….।।
Agree
Shukriya sir