अब तो बस उसकी मां को ..,अपनी मां बनाने की ख्वाइश है..!
उसी के घर में, उसी की मां से , उसी को डांट..खिलाने की ख्वाहिश है…!
सास के रूप में मिले जो मां.., उसे गले लगाने की ख्वाहिश है..!
अब उसकी मां को.. अपनी मां.. बनाने की ख्वाहिश है..,!
जब हो कभी बीमार वो तो, आराम दिलाने की ख्वाहिश है..!
जब कहे वो खाना बनाने को…., तो हर चीज पूछ बनाने की ख्वाहिश है..!
जब कहे मम्मा हमसे जों…, के “”बेटा तुम भी घूम आओ””..!
तो खुद रूठकर..,उन्हें मनाकर….साथ ले जाने की ख्वाइश है..!
जब मन करे कभी, कुछ अच्छा अच्छा खाने को..,
तो उन्हें खूब बहलाने की ख्वाहिश है..!
साथ बैठकर…,चार्ट पकोड़े..,उनके हाथ से खाने से खाने की ख्वाहिश है..!
याद आए जब मुझे मायके कि कभी…,तो उनको गले लगाने की ख्वाइश है..!
जब थक कर उदास हो जाऊं मैं… तो गोद में सर रखकर उनकी.., चैन से सो जाने की ख्वाहिश है…!
जब हो जाए जल्दी काम तो… हर दोपहर गप्पे लड़ाने की ख्वाइश है…!
जब हो जाए डिनर-शिनर जो तो…, “”बेटा तुम भी बैठ जाओ””..,ये सुनने कि ख्वाहिश हैं…!
जब हो मुझे कोई तकलीफ तो..,हर बात उन्हें बताने की ख्वाहिश है..!
हर बात मानकर…, गले लगाकर.., खूब प्यार जताने की ख्वाहिश है….!
सच कहूं तो मुझे सास को, मां की तरह…, सहेली बनाने की ख्वाहिश है..!
उफ्फ……कब होगा ख्वाब ये पूरा…. ,अब खुशियां बढ़ाने की ख्वाहिश है…!
सास के रूप मे….,मिले जो मां…,बस ये ख्वाब पूरा कराने की ख्वाहिश है…..!
Superb
Shukriya sis