आज आंखो मै तेरा चेहरा था…,
पलकों में तेरा पेहरा था..,
आज अशकों में भी छुपी..,
एक याद पुरानी थी…,
आज फिर जानी….!
तेरी मेरी कहानी थी…,
आज पहुंच गए कहानी के..,
शुरुआत में…,
तुम थे पाकीज़ा सफर पार..,
ओर मेरा मेसेज जाना था ..,
इसी राह सफर में ही तो…,
तुमने मुझे पहचाना था…,
फिर बाते होती.., यादे खिलती..,
खूब सोच सोच खुश हो जाना था..,
दिन निकले…,महीने निकले…,
वक़्त आगे बढ़ जाना था…,
देखो यारा.., मोहब्बत का हमारी…,
फिर पाकीज़ा मंज़र आना था…,
रखते रोज़े…., पढ़ते नमाजे…,
दुआ भी मांगे साथ साथ…,
हर पल कितना सुहाना था..,
इबादतों का ये शुमार…,
मोहब्बत में ओर बढ़ जाना था..,
सुकून मिलता ., दुआए करते…,
ख्वाबों का ये मंजर कितना सुहाना था…,
तुम करते निगाहों का पर्दा…,
मै भी हया कुछ बातों की रखती…,
तुम करते पाकीज़ा मोहब्बत…,
मैं भी पीछे तेरे चलती…,
चलते चलते राह सफर में…,
पाकीज़ा सा सब हो जाता था…,
क्या क्या कहूं जाना.., मोहब्बत में…,
मंजर ” कितना पाकीज़ा हो जाता था”!
कितना पाकीज़ा हो जाता था।।