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मैं गुड़िया पापा की लाडली #पापा #याद #दर्द #प्यार

क्या लिखूं मैं भी अपने पापा के लिए.., ए खुदा…! कुछ तरकीब बता..!

कर रहे हैं विश सब पापा को….,मुझे भी कोई तस्वीर दिखा..!

पापा जो होते तो मैं “बिटिया”….., “गुड़िया” उनकी बनी रहती….!

होती खुशियां चारों तरफ …,हर रोज नई फरमाइश होती …..!

करती जि़द कभी झूले की…, तो कभी दामन को थाम लेती….!

होती जो मुश्किल में तो…, सर गोद में रखकर रो देती….

कभी बनती शेरनी मैं…., कभी हुकुम चलाती मैं…..,

जाकर मां को खूब चिढ़ाती…, पापा की लाडली बनती मैं…

करके हर एक ख्वाहिश पापा से…, हर जिद पूरी करवाती मैं…!!

हो बहुत दूर हमसे….., यादों में बसे-से हो….!

मिल जाती तस्वीरें आंखों में…., बातों में बसे-से हो…

आह…!भरकर एक लम्हे को….,अब खुद को ही संभालती हूं..।

फिर थपा कर पीठ अपनी ही….., शेरनी खुद को बुलाती हूं….!

लड़ती हूं…., झगड़ती हूं…., छूप छूप कभी रो लेती हूं…!

मैं मेरे पापा की लाडली…, अब जि़द बिल्कुल भी ना करते हूं…!

कहें कोई.., कुछ मुझसे तो…. नज़रें झुका लेती हूं…,

लोगों की चलती हर एक जिद ़ में.., बिन मर्जी हां कर देती हूं…!

खाना-पीना शादी तक…, बिन मर्जी मैं कर लेती हूं…!

अब ना हूं पापा की प्रिंसेस…, यह सोच सब सह लेती हूं..!

होती जब तन्हाई में.., तो खूब याद कर रोती हूं…,

हिम्मत बनाकर यादों को अपनी…., फिर उठ खड़ी होती हूं..।

मैं गुड़िया पापा की लाडली….., अश्क बहा कर…., आह… भरकर ….,फिर शेरनी बन जाती हूं..।।

2 Replies to “मैं गुड़िया पापा की लाडली #पापा #याद #दर्द #प्यार

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