सिल रहे थे, जोड़ा आज हम.., लोगों को खुशियों सा लगा.., रंग था उसका गहरा लाल…, जाने क्यूं ये कफ़न सा लगा..! थी उसमें खूबसूरत कढ़ाई.., जाने क्यूं.., सफेदी नजर आईं..? हुई सिलाई उसकी जो…, सिल- सिल आगे बढ़ता था…! ख्याल आता…! ये बिन सिला है सुंदर.., सुना था.., कफ़न तो यारों.., बिन सिला ही […]