देख मां आज फिर टूटी हूं…, तेरी झलक पाने को…, आजा मां…! फिर से तू…, एक बार गले लगाने को…। जो- जो मैं मांगू तुझसे…, हर एक चीज ला देती थी…, बात कहने से पहले ही.., हर ख्वाहिश पूरी कर जाती थी…। खेल -खिलौने .., साग- मिठाई…., हर चीज़ पसंद मेरी बनाती थी…, मां…! ओह […]